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15:52, 14 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सौदा
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न अश्क आँखों से बहते हैं, न दिल से उठती हैं आहें
सबब क्या, कारवान-ए-दर्द की मसदूद हैं राहें
न पहुँचा मंज़िले-मक़सूद को मजनूँ भी ऐ ’सौदा’
समझकर जाइयो, लुटती हैं मुल्के-इश्क की राहें
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