भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र }} <poem> म्हारी सेजाँ आवो जी ला…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र
}}
<poem>
म्हारी सेजाँ आवो जी लाल बिहारी।
रंग-रँगीली सेज सँवारी, लागी छे आशा थारी।
बिरह-बिथा बाढ़ी घणी ही, मैंसौं नहिं जात सँभारी।
’हरीचंद’ सो जाय कहो कोऊ तलफै छे थारे बिन प्यारी॥
</poem>