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भजन बिना नरफीको / मीराबाई

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रचनाकार: [[मीराबाई]]
[[Category:मीराबाई]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:पद]]

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आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको।।<br>
घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा, दरसन गोविन्द जी को।।१।।<br>
निरमल नीर बहत जमुना में, भोजन दूध दही को।<br>
रतन सिंघासण आपु बिराजैं, मुकुट धरयो तुलसी को।।२।।<br>
कुंजन कुंजन फिरत राधिका, सबद सुणत मुरली को।<br>
"मीरा" के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको।।३।।<br><br>