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|रचनाकार=अमीर खुसरो
}}
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बहुत दिन बीते पिया को देखे,
अरे कोई जाओ, पिया को बुलाय लाओ
मैं हारी वो जीते पिया को देखे बहुत दिन बीते।
सब चुनरिन में चुनर मोरी मैली,
क्यों चुनरी नहीं रंगते?
बहुत दिन बीते।
खुसरो निजाम के बलि बलि जइए,
क्यों दरस नहीं देते?
बहुत दिन बीते।
</poem>
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|रचनाकार=अमीर खुसरो
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बहुत दिन बीते पिया को देखे,
अरे कोई जाओ, पिया को बुलाय लाओ
मैं हारी वो जीते पिया को देखे बहुत दिन बीते।
सब चुनरिन में चुनर मोरी मैली,
क्यों चुनरी नहीं रंगते?
बहुत दिन बीते।
खुसरो निजाम के बलि बलि जइए,
क्यों दरस नहीं देते?
बहुत दिन बीते।
</poem>