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Kavita Kosh से
मैं हमेशा से उसके सामने थी
उसने देखा नहीं तो मेरा नसीब<ref>भाग्य</ref>
रूह तक जिसकी आंच आँच आती हैकौन ये शोला-रु<ref>अँगारे-साए जैसे चेहरे जैसावाला
</ref> है दिल के क़रीब