भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
::(२)
मर गया होता कभी का::आपदाओं की कठिनतम मार से,यदि नहीं आशा श्रवण में::नित्य यह संदेश देती प्यार से--::"घूँट यह पी लो कि संकट जा रहा है।::आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है"।
</poem>