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Kavita Kosh से
कटी तो साज़े-तमन्ना <ref>मनो कामना का वाद्य-यंत्र</ref> लहू-लहू भी हुआ
यही बहुत था कोई मंज़िले-तलब <ref>वांछित वाँछित मंज़िल</ref> तो मिली
कही तो मुज़्दा-ए-क़ुर्बे-हरीमे-यार <ref>प्रेयसी के निवास के सामीप्य का शुभ संदेश</ref>मिला
हज़ार शुक्र कि तअने-बरहनगी <ref>नग्न होने का उलाहना</ref> तो गया
मगर जो हाल तुलू-ए-सहर <ref>सूर्योदय</ref> के बाद हुआ
जो तेरे दर्स <ref>उपदेश</ref> की तहक़ीर <ref>अनादर</ref> हमने देखी है
बयाँ <ref>वर्णन</ref>करें भी तो किससे, कहें तो किससे कहें
जो तेरे ख़्वाब की ताबीर <ref>स्वप्न-फल</ref> हमने देखी है