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Kavita Kosh से
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
दुनिया के रंज सहना और कुछ ना न मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज़ ना न डगमगाएरस्ते बड़े कठिन हैं, चलना सँभल-सँभल के
इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखनातन-मन की भेंट देकर , भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
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