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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
। रचनाकार=प्रभात व्रिपाठी
}}
poem>
हिंदु धर्मवाली औरत से
कोलगेट पाम ऑलिव के रास्ते से गुजरता
यह समय
फिलहाल राष्ट्रीय समाचार हो गया है
और यह सदाचार का तकाजा है
कि आंख को अस्तित्व के आकाश से
नीचे उतारिये
और दूर दर्शन पर नजर डालिये
वहां बाजार के यशगान में
वाणिज्य मंव्री न्यौता दे रहे हैं
तरक्की के एक अदभुत चमचमाते समय को
जहां गोर्बाचेव, जार्ज बुश से हाथ मिला रहे हैं
और उनके समर्थन में सिर हिला रहे
बिल्कुल अपने नोनी गोपाल मंडल की तरह
बकौल अक्षय उपाध्याय
जिनकी एक नहीं, पांचों उंगलियों में
मतदान की स्याही के निशान हैं
</poem>
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। रचनाकार=प्रभात व्रिपाठी
}}
poem>
हिंदु धर्मवाली औरत से
कोलगेट पाम ऑलिव के रास्ते से गुजरता
यह समय
फिलहाल राष्ट्रीय समाचार हो गया है
और यह सदाचार का तकाजा है
कि आंख को अस्तित्व के आकाश से
नीचे उतारिये
और दूर दर्शन पर नजर डालिये
वहां बाजार के यशगान में
वाणिज्य मंव्री न्यौता दे रहे हैं
तरक्की के एक अदभुत चमचमाते समय को
जहां गोर्बाचेव, जार्ज बुश से हाथ मिला रहे हैं
और उनके समर्थन में सिर हिला रहे
बिल्कुल अपने नोनी गोपाल मंडल की तरह
बकौल अक्षय उपाध्याय
जिनकी एक नहीं, पांचों उंगलियों में
मतदान की स्याही के निशान हैं
</poem>