भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कह-मुकरियाँ / अमीर खुसरो

No change in size, 04:13, 7 दिसम्बर 2009
रात गए फिर जावत है।
मानस फसत काऊ के फंदा,
सखी सखि साजन न सखि! चंदा।।
24.