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|रचनाकार=शांति सुमन
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अपरिचय का आकाश तोड़ें
एक लंबा अतराल जोड़ें
धूप-हवा-बिजली सी लगती बातेंपदमावत की कथा सी जगती रातेंदुखते सारे मिसाल छोड़ें अंकुर की प्यास लिए हरियाये खेतकहीं दूर फेंकें ये ओसायी रेतदिशाएं तरंगों की मोड़ें<br/poem>