भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूरज / अनिल जनविजय

16 bytes added, 16:45, 9 दिसम्बर 2009
|संग्रह=कविता नहीं है यह / अनिल जनविजय
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
सूरज
क़िताब पढ़ रहा है
एक लम्बा भूमिगत इतिहास
यातना के भयानक सब क्षणॊं क्षणों को
मन ही मन फिर गढ़ रहा है
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,395
edits