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आ कि मेरी जां को क़रार नहीं है / ग़ालिब
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06:54, 7 नवम्बर 2007
ग़ैर-ए-गुल आईना-ए-बहार नहीं है <br><br>
क़त्ल का मेरे
किया
िकया
है अहद तो बारे <br>
वाये! अगर अहद उस्तवार नहीं है <br><br>
तू ने क़सम मैकशी की खाई है "ग़ालिब"<br>
तेरी क़सम का कुछ ऐतबार नहीं है<br><br>
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Abhaysarnot