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Kavita Kosh से
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक<br><br>
दाम हर मौज में है हल्क़ा-ए-सदकामसदकामे-ए-नहंग निहंग <br>
देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गौहर होने तक <br><br>
ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को ख़बर होने तक <br><br>
पर्तव-ए-ख़ूर खुर से है शबनम को फ़ना की तालीम <br>
मैं भी हूँ एक इनायत की नज़र होने तक <br><br>
गर्मी-ए-बज़्म है इक रक़्स-ए-शरर होने तक <br><br>
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