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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>आबलापा कोई इस दश्त में आया होगा|
वर्ना आँधी में दिया किस ने जलाया होगा|
ज़र्रे -ज़र्रे पे जड़े होंगे कुँवारे सज्देसजदे, एक -एक बुत को ख़ुदा उस ने बनाया होगा|
प्यास जलते हुये हुए काँटों की बुझाई होगी, रिसते पानी को हाथेली हथेली पे सजाया होगा|
मिल गया होगा अगर कोई सुनहरी पत्थर,
अपना टूटा हुआ दिल याद तो आया होगा|
ख़ून के छींटे कहीं पोछ पोंछ न लें रेह्रों से,
किस ने वीराने को गुलज़ार बनाया होगा|
</poem>