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21:02, 18 दिसम्बर 2009
{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रमा द्विवेदी}}
देशों का सरताज़ अमेरिका,<br>
प्रगति का अंबार अमेरिका,<br>
अस्त्रों का भंडार अमेरिका,<br>
प्रक्रति का मणिहार अमेरिका।<br><br>
यहाँ मानव है पर समाज नहीं,<br>
संबंध हैं पर विश्वास नहीं,<br>
दिलों में प्यार की चाह है,<br>
पर उसमें मिठास नहीं।<br><br>
व्यावहारिकता रिश्तों का आधार है,<br>
औपचारिकता यहाँ का शिष्ठाचार है,<br>
सरलता,ईमानदारी सबसे बडी नियामत है,<br>
हेलो,गुड्मार्निंग,थैंक्स ही सबसे बडा प्यार है।<br><br>
सब कुछ यहाँ यंत्रवत है,<br>
प्यार ,व्यापार में अंतर नहीं,<br>
रिश्ते अटूट बंधन में बंधें,<br>
यहाँ ऐसा कोई तंत्र नहीं।<br><br>
स्वतंत्रता यहाँ का सबसे बडा उपहार है,<br>
फैशन का यहाँ कोई न पारावार है,<br>
कच्ची उम्र में"डेटिंग" करते हैं यहाँ,<br>
सबसे ज्यादा प्रचलित यह शिष्ठाचार है।<br><br>
काश! यहाँ पर भी सामाजिकता होती,<br>
तब किसी भी तरह की औपचारिकता न होगी,<br>
सब अपने आप में डूबे हुए हैं यहाँ,<br>
मानवता की ऐसी कमी कहीं देखी न होगी।<br><br>