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|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
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<poem>
बच्चों की खोपड़ी का व्यापार
हो रहा है यहाँ
व्यापार हो रहा है उनकी हड्डियों का
गुर्दों,आँखों और ख़ून का व्यापार
हो रहा है उनके।

सौ रुपये किलो
पालक खरीदने के लिए
तैयार हो रहा है देश।

तैयार हो रहा है जनगण
एक कभी न ख़त्म होने वाले युद्ध के लिए।
सिक्कों से लड़ा जाने वाला यह युद्ध
शुरू हो चुका है पृथ्वी पर।


रचनाकाल : 1991, नई दिल्ली
</poem>