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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन }}<poem>केवड़े की गंध तेज और शीतल होती है। …
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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>केवड़े की गंध तेज और शीतल होती है। इस को
लोग गर्मी के दिनों में कुएँ में डाल देते हैं। इस से
जल कई दिनों तक सुवासित और
मधुर रहता है।
केवड़े की विशेषता से लोग अच्छी तरह
परिचित हैं। इसी कारण इस का रोपण और
पोषण करते हैं। सुगंध के कारण इस की
प्रतिष्ठा है। यह लीलासुमन नहीं है जैसा
गुलाब है।
18.12.2002</poem>
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|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>केवड़े की गंध तेज और शीतल होती है। इस को
लोग गर्मी के दिनों में कुएँ में डाल देते हैं। इस से
जल कई दिनों तक सुवासित और
मधुर रहता है।
केवड़े की विशेषता से लोग अच्छी तरह
परिचित हैं। इसी कारण इस का रोपण और
पोषण करते हैं। सुगंध के कारण इस की
प्रतिष्ठा है। यह लीलासुमन नहीं है जैसा
गुलाब है।
18.12.2002</poem>