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चंचल पग दीप-शिखा-से / सुमित्रानंदन पंत
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05:59, 22 दिसम्बर 2009
<poem>
चंचल पग दीप-शिखा-से धर
गृह
-
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मग
-
,
वन में आया वसन्त!
सुलगा फाल्गुन का सूनापन
सौन्दर्य-शिखाओं में अनन्त!
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