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होती इससे बदतर!
बोल विश्व विख्यात मेदिनी,
बोल विश्व इतिहास शोभिनी,
बोल बंग की पुण्य मेदिनी,
बोल बंग की पूत मेदिनी,
बोल विभा की चिर प्रसूतिनी,
बोल अमृत पुत्रों की जननी--
जननी श्री गोविंद गीत केतन्मय गायकरसिक विनायककवि नृप श्री जयदेव भक्त की;बँगला वाणीजीवन दानी,कवि-कुल-कोकिल चंडिदास की;औ’ पद्मापति पद अनुरागी,गृह परित्यागी,परम विरागीश्री चैतन्य देव की जिनकीभक्ति ज्वाल मेंविगलित होकरहृदय बंग का कभी ढला था!
</poem>
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