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|संग्रह=थपक थपक दिल थपक थपक / गगन गिल
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<poem>
निचुड़ा- निचुड़ा
दिल था
री माँ!
निचुड़ामैला- निचुड़ा<br>मैला दिल डर था<br>री माँ!<br><br>
मैला- मैला<br>माथा टकता डर काग था<br> री माँ!<br><br>
माथा टकता<br>नीला हो गया काग साँस था <br> री माँ<br><br>!
नीला हो गया<br>::सूंघा सोती को साँस था <br>::नाग ने ::री माँ!<br><br>
::सूंघा सोती को<br>ले गया ::नाग ने<br>वो मेरा श्वास था ::री माँ!<br><br>
::ले अटक गया <br> ::वो मेरा श्वास प्राण था <br>::री माँ<br><br>!
::अटक गया <br>जलता- जलता ::मेरा प्राण जहर था<br> ::री माँ!<br><br>
ऐंठ मुड़ी
मेरी आँत थी
री माँ!
जलता- जलता <br>जड़ उखड़ गया जहर मेरा मन था <br>री माँ!<br><br>
ऐंठ मुड़ी <br>मेरी आँत थी<br>री माँ!<br><br> जड़ उखड़ गया<br>मेरा मन था<br>री माँ!<br><br> कुचला गया<br>जो एक साँप था<br>री माँ! <br><br/poem>
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