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Kavita Kosh से
तेरी निगाह ने फसाने सुनाए हैं क्या-क्या ।
‘फिराक़’ राहे वफ़ा में सबक रवी तेरी,
बड़े बड़ों के क़दम डगमगाए हैं क्या-क्या ।