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अस्मिता / मोहन राणा

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|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
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क्या मैं हूँ वह नहीं
 
जो याद नहीं अब,
 
जो है वह किसी और की स्मृति नहीं क्या
 
जिनसे जानता-पहचानता अपने आपको
 
मनुष्य ही नहीं पेड़-पंछी
 
हवा आकाश
 
मौन धरती
 
घर खिड़की
 
एक कविता का निश्वास!
 
पर ये नहीं किसी और की स्मृति क्या?
 
जो याद है बस
 
भूलकर कुछ
 '''रचनाकाल: 13.8.2006</poem>
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