भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ढलती एक शाम / मोहन राणा

20 bytes added, 12:15, 26 दिसम्बर 2009
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
कितने आयाम कि चैन नहीं जिसमें
 
ली यह साँस करने यह सवाल
 
कि नहीं करूंगा फिर वही सवाल,
 
मैं चिड़िया हूँ या पतंग
 
या दोनों ही हूँ एक साथ
 
उस आयाम में
 
ढलती एक शाम
 
 
 
 
29.1.2006
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits