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Kavita Kosh से
हार होंगे हृदय के खुलकर तभी गाने नये,
हाथ में आ जायेगा, वह राज सो जो महफिल में है ।
और दिखलाई पड़ेगी जो गुराई तिल में है ।
ताक पर है नमक मिर्चा मिर्च लोग बिगड़े या बनें,
सीख क्या होगी पराई जब पसाई सिल में है ।