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|रचनाकार=रमा द्विवेदी
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चाँद पर रहने का इन्तज़ाम करने लगे हैं लोग
इक्कीसवीं सदी में मानव चाँद पर-
सैर-सपाटे के लिए जायेगा,
सारे काम यंत्र करेंगे,
मानो मानव यंत्रमय हो जायेगा।
चाँद पर रहने का इन्तज़ाम करने लगे हैं लोग<br>इक्कीसवीं सदी में मानव चाँद पर-<br>सैर-सपाटे के लिए जायेगा,<br>सारे काम यंत्र करेंगे,<br>मानो मानव यंत्रमय हो जायेगा।<br><br>न संगिनी की खटपट,<br>न रोटी कमाने का चक्कर,<br>चक्कर लगाते-लगाते वह,<br>आज की राजनीति का अधिवेशन,<br>मंगल पर जा करेगा,<br>चुनावी रणनीति वहीं पर तै करेगा।<br><br>  वहाँ पर बैठे-बैठे वह,<br>सब कुछ हजम कर जायेगा,<br>और तो और जनता के<br>आक्रोश से भी बच जायेगा।<br><br>  कई क्लोनिंग जीव वहाँ नज़र आयेंगे<br>इस विचित्र माइक्रो दुनिया में<br>कोई हिटलर, कोई लादेन<br>कोई सफेदपोश रावण<br>जो वहाँ से भी सीता का-<br>हरण कर ले जायेगा ।<br><br>  सबसे पहले सफेदपोश जीव ही<br>वहाँ आवास बनायेगा<br>चक्कर काटने में हैं वे निपुण<br>इसलिए चाँद की सैर करवाने का<br>ख़्वाब जनता को दिखायेंगे<br>जनता है बावरी <br> ऐसे नेता को ही जितायेंगे ॥ <br><br/poem>
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