भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रमा द्विवेदी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
प्रेम पाना चाहते गर
गुनगुनाना सीख लो।
प्रेम में झूमो तुम ऐसे
लहलहाना सीख लो॥
प्रेम इक अहसास हैअरु प्रेमी में जब अन्तर नज़र आता नहीं,<br>फूलों प्रेम में खुशबू की तरह,<br>खुद को मिटाना शर्त है कि फूलों जैसे<br>खिलखिलाना यह अदा भी सीख लो..<br>. प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥<br><br>