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<poem>
प्रेम पाना चाहते गर
गुनगुनाना सीख लो।
प्रेम में झूमो तुम ऐसे
लहलहाना सीख लो॥
प्रेम पाना चाहते गर<br>प्रेमी-मन को जब नहीं तुम जानते-पहचानते, झूठे अहं को त्याग दो, गुनगुनाना सच को अपनाना सीख लो।<br>लो.. प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥<br><br>
प्रेमी-मन को जब नहीं तुम<br>जानते-पहचानतेप्रेम भी इक गीत है,<br>झूठे अहं को त्याग दोतुम इसको गाना सीख लो,<br>सच को अपनाना प्रेमी तुम्हें मिल जाएगा बस तुम बुलाना सीख लो..<br>. प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥<br><br>
प्रेम भी इक गीत है,<br>लिखना चाहते गर तुम इसको गाना ग़म उठाना सीख लो,<br>प्रेमी तुम्हें मिल गीत तो लिख जाएगा बस<br>, तुम बुलाना दिल को तपाना सीख लो...<br> प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥<br><br>
गीत लिखना चाहते गर<br>ग़म उठाना सीख लोसोचकर जो लिक्खा जाए,<br>गीत तो लिख जाएगाकहलाता न वो,<br>दिल हृदतंत्री को तपाना झन्क्रित जो कर दे ऐसा गीत लिखना सीख लो...<br>प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥<br><br>
सोचकर जो लिक्खा जाएप्रेम इक अहसास है,<br>गीत कहलाता न वोफूलों में खुशबू की तरह,<br>हृदतंत्री को झन्क्रित जो कर दे <br>शर्त है कि फूलों जैसे ऐसा गीत लिखना खिलखिलाना सीख लो...<br>प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥<br><br>
प्रेम इक अहसास हैअरु प्रेमी में जब अन्तर नज़र आता नहीं,<br>फूलों प्रेम में खुशबू की तरह,<br>खुद को मिटाना शर्त है कि फूलों जैसे<br>खिलखिलाना यह अदा भी सीख लो..<br>. प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥<br><br>
प्रेम अरु प्रेमी में जब<br>अन्तर नज़र आता नहीं,<br>प्रेम में खुद को मिटाना<br>यह अदा भी सीख लो...<br>प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥<br><br> प्रेम की मादकता को,<br>ऐसे न तुम सह पाओगे,<br>लहरों सा उठना-मचलना,<br>यह कला भी सीख लो...<br>प्रेम में झूमो तुम ऐसे<br>लहलहाना सीख लो॥ <br><br/poem>
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