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|संग्रह=थपक थपक दिल थपक थपक / गगन गिल
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{{KKCatKavita}}<poem>
बहती-बहती
बह गई
री माँ
::::सहती-सहती
::::सह गई
::::री माँ
::::::::गुमसुम-गुमसुम
::::::::चुप हुई
::::::::री माँ
:::::::::::ढहती-ढहती
:::::::::::ढह गई
:::::::::::री माँ
(राह में) अटकी-अटकी
रुक गई
री माँ
::::(एड़ी) घिसती-घिसती
::::थक गई
::::री माँ
::::::::(बात) कहती-कहती
::::::::टुक गई
::::::::री माँ
:::::::::::(काँटें) चुगती-चुगती
:::::::::::छिद गई
:::::::::::री माँ
गुम हुई
री माँ
::::प्यासी-प्यासी
::::फुर्र हुई
::::री माँ
::::::::ठंडा पानी
::::::::पी मरी
::::::::री माँ
:::::::::::देख उसे
:::::::::::फिर जी गई
:::::::::::री माँ!
</poem>