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Kavita Kosh से
|संग्रह=नियति,इतिहास और जरायु / श्रीनिवास श्रीकांत
}}
{{KKCatKavita}}<poem>घर
अहातों
और चबूतरों समेत
हम अपना दिशा ज्ञान
ज़मीन और आकाश के दबाव से
कहाँ गये वो सब दृष्य
रेखाओं की तरह सीधी सरल
सौन्दर्य की तरह पेचदार
मगर समुद्र से अलग होने के बाद