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Kavita Kosh से
|रचनाकार=लुई आरागों
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जैसे ही बस पलटी पीछे की ओर
सोते हुए जंगल में सुंदर अतीत के
आलिंगन।
ले देस्तीने द ला पोयज़ी(1925-1926) से
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
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