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|संग्रह=इतने गुमान / सुदीप बनर्जी
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ऎश्वर्य तो तुम्हें नहीं देगा यह जीवन
ऎश्वर्य तो नहीं ही फिर भी
भाषाएँ नहीं होती खलास ।खलास।
'''रचनाकाल : 1992
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