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क्रूरता (कविता) / कुमार अंबुज

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|संग्रह=क्रूरता / कुमार अंबुज
}}
{{KKCatKavita}}<poem>तब आएगी क्रूरता<br>पहले ह्रदय में आएगी और चेहरे पर न दिखेगी<br>फिर घटित होगी धर्मग्रंथो की ब्याख्या में<br>फिर इतिहास में और<br>भविष्यवाणियों में<br>फिर वह जनता का आदर्श हो जाएगी<br>....वह संस्कृति की तरह आएगी,<br>उसका कोई विरोधी नहीं होगा<br>कोशिश सिर्फ यह होगी <br>किस तरह वह अधिक सभ्य<br>और अधिक ऐतिहासिक हो<br>...यही ज्यादा संभव है कि वह आए <br>
और लंबे समय तक हमें पता ही न चले उसका आना
</poem>
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