Changes

|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
माथे पे बिंदिया चमक रही
 
हाथों में मेंहदी महक रही।
 
शर्माते से इन गालों पर
 
सूरज सी लाली दमक रही।
 
खन-खन से करते कॅगन की
 
आवाज़ मधुर सी चहक रही।
 
है नये सफर की तैयारी
 
पैरों में पायल छनक रही।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits