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|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह=राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर
}}अब तो{{KKCatKavita}}<brpoem>अब तो धरती अपनी, <br> अपना आकाश है! <br> सूर्य उगा<br>लो<br>फैला सर्वत्र<br>प्रकाश है! <br> स्वधीन रहेंगे<br>सदा-सदा<br>पूरा विश्वास है! <br> मानव-विकास का चक्र<br>न पीछे मुड़ता<br>साक्षी इतिहास है! <br> यह<br>प्रयोग-सिद्ध<br>तत्व-ज्ञान<br>
हमारे पास है!
</poem>
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