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|संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
{{KKCatKavita}}<poem>घोड़ा नहीं जानता
अगली टाप पड़ते ही वह
पकड़ लिया जाएगा
हो जाएंगे धराशायी सैंकड़ों योद्धा
घोड़ा नहीं जानता।
घोड़े के लिए सारी घास है अपनी
कौन दौड़े आ रहे हैं उसके पीछे
वह नहीं जानता सीमाओं का भूगोल
घोड़ा नहीं जानता