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नदी और पुल / विमल कुमार

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|रचनाकार=विमल कुमार
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<poem>
'''1.'''
पुल का एक हिस्सा अतीत में है
 
तो दूसरा वर्तमान में
 
और तीसरा भविष्य में
 
नदी भी डूबी है जितनी अतीत में
 
उतनी ही वर्तमान में
 
पर उससे भी कहीं ज्यादा डूबी भविष्य में पुल की तरह
 
समय की तलवार
 
दोनों के जिस्मों को काटती है
 
एक ही तरीके से
 ('''2) .'''
पुल ने इतिहास को बनते हुए देखा है
 
नदी ने भी देखा है इतिहास को बनते हुए
 लेकिन अब इतिहास ने दोनों को काफी काफ़ी बदल दिया है  
इस बदले हुए इतिहास को
 
गहरी पीड़ा के साथ रेत और पत्थरों ने देखा है
('''3) .'''
पुल का अपना इतिहास है
 
तो नदी का भी अपना इतिहास है
 
पुल का इतिहास
 
मनुष्य ने बनाया है
 
नदी ने अपना इतिहास खुद बनाया है
 
इसलिए पुल नहीं दौड़ पाता है
 
किसी नदी की तरह
 ('''4).'''
पुल ने जब नदी को पुकारा
 नदी बरसात में ऊपर तक चली आयी आई
उससे मिलने
 
नदी ने जब पुल को पुकारा
 
वह चाह कर भी नीचे नहीं उतर सका
 उसके दोनों पांव पाँव थे जमे धरती में  
पुल की यह बेबसी
 
उसे अक्सर कचोटती रहती है
 ('''5) .'''
पुल आसमान में उड़ना चाहता है
 
चाहती , नदी भी है
 
वह दोनों उड़ नहीं पाते
 
दोनों के पास नहीं है कोई पंख
 
दोनों आसमान में उड़ती चिड़िया को देखते हैं
 
दोनों अगले जन्म में
 
चिड़िया बनना चाहते हैं
 
इसलिए चिड़िया भी आकर पुल पर बैठती है
 
और अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी पर झुकती है
 ('''6) .'''
एक दिन पुल उड़ गया आसमान में
 
उसने वहीं से चिल्ला कर कहा
 बड़ा मजा मज़ा आ रहा है मुझे  एक दिन नदी भी उड़ गयी गई आसमान में  
उसने हाथ हिला कर कहा
 
अब तो बादल मेरे पास है
 
दरअसल दोनों धरती पर थे
उनके ख्वाब उड़ा कर ले गए थे आसमान में
उनके ख्वाब उड़ा कर ले गये थे आसमान में    ('''7) .'''
एक रात पुल नदी पर झुक आया
 
उसे चूमने लगा
 नदी पहले तो कसमसायी कसमसाई
फिर एक रात नदी ने
 
पुल को बाहों में भर लिया
 
सिर्फ चन्द्रमा था
 
उस दिन आसमान में
 
और जंगल में सियार थे
 
दोनों के प्रेम के साक्षी
 ('''8) .'''
नदी ने पुल को बाहों में भरते हुए कहा
 तुम कितने जर्जर हो गये गए हो  जब भी कोई रेल गुजरती गुज़रती है तुम्हारे ऊपर से  मेरा सीना कांप काँप उठता है  
पुल ने नदी के बालों को छूते हुए कहा
 
तुम्हारा पानी भी तो सूखता जा रहा है
तुम रेत में धँसती जा रही हो दिन-रात
कैसे पकडूँगा अब मैं ऊपर से तुम्हारा हाथ
तुम रेत में धंसती जा रही हो दिन रात  कैसे पकडूंगा अब मैं ऊपर से तुम्हारा हाथ    ('''9)  नदी पुल के पास और करीब और करीब .'''
नदी पुल के पास और क़रीब और क़रीब
आना चाहती है।
 
कोई गाना उसके कान में धीरे से गाना चाहती है
 
जितना बचा है पानी उसमें उसके संग नहाना चाहती है
 ('''10) .'''
पुल को भरोसा था
 
अगर वह एक दिन गिर गया
 
तो नदी उसे थाम लेगी
 
नदी को भी यकीन था
 
पुल उसे दूर बहने नहीं देगा
 पानी की हर बूंद बूँद को  
अपनी अलग कहानी कहने नहीं देगा
 ('''11) .'''
पुल के पास अब ढेर सारे सपने हैं
 तो नदी के पास भी खूब ख़ूब सारे ख्वाब ख़्वाब
पुल के पास कोई पुराना गीत है
 
नदी के पास भी कोई दुर्लभ राग
 ('''12)  एक दिन सिर्फ पुल था  नदी कहीं गायब हो गयी थी  एक दिन सिर्फ नदी थी .'''
एक दिन सिर्फ़ पुल था
नदी कहीं गायब हो गई थी
एक दिन सिर्फ़ नदी थी
पुल आसपास कहीं नहीं था
 
दोनों उस दिन अकेले थे
 
इसलिए अधूरे थे
 ('''13)  पुल के नीचे काफी अंधेरा है  वहां अक्सर हत्याएं होती रहती हैं  नदी के भीतर भी काफी खून है  वहां कोई छाया डोलती रहती है .'''
पुल के नीचे काफी अन्धेरा है
वहाँ अक्सर हत्याएँ होती रहती हैं
नदी के भीतर भी काफ़ी ख़ून है
वहाँ कोई छाया डोलती रहती है
पुल और नदी दिन रात सोचते रहते हैं
उनके जीवन में यह बुरा वक़्त कहाँ से आ गया
उनके जीवन में यह बुरा वक्त कहां से आ गया    ('''14) .'''
पुल के ढेर सारे किस्से हैं
 
तो नदी के भी ढेर सारे किस्से हैं
 
पुल और नदी एक दूसरे से पूछते हैं
आख़िर किस्से हमारे लिखता है कौन ?
आखिर किस्से हमारे लिखता है कौन ?    ('''15) .'''
नदी और पुल का यह पुराना किस्सा है
 
पता नहीं आखिर किसमें किसका कितना हिस्सा है
 ('''16)  नदी जब अपने भीतर झांकती है  तो उसे शंख , सीपियां पत्थर  और मछलियां दिखाई देती हैं  पुल जब अपने भीतर झांकता है  तो उसे किसी का पसीना नजर आता है .'''
नदी जब अपने भीतर झाँकती है
तो उसे शंख , सीपियाँ पत्थर
और मछलियाँ दिखाई देती हैं
पुल जब अपने भीतर झाँकता है
तो उसे किसी का पसीना नज़र आता है
और लोहा बनता रहता है
 
दोनों का यह अन्त्यावलोकन ही
बचाए हुए है उनकी सुन्दरता
बचाये हुए है उनकी सुन्दरता    ('''17) .'''
नदी के भीतर से रेल जा रही है
 
पुल के ऊपर से ट्राम जा रहा है
 
एक बच्चा पुल पर बैठा कुछ खा रहा है
 
एक आदमी नदी के किनारे गा रहा है
 ('''18) .'''
ट्रेन के सफर में
 
आदमी सब कुछ भूल जाता है
 
पर याद रहता है पुल
 
यदि रहती है नदी जिन्दगी पर
 दोनों पीछा करते हैं मनुष्य का मृत्यु तक </poem>
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