भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=संवर्त / महेन्द्र भटनागर
}}
{{KKCatKavita}}<poem>शक्तिमत्व हो,<br>दीपाराधन हो !<br>मरणान्तक रावण की शर्तें<br>निविड़-तमिस्रा की पर्तें<br>टूटेंगी,<br>टूटेंगी !<br><br>
कृत-संकल्पों के राम जगे<br>जन-जन के अन्तर में !<br>आग्नेय-अस्त्र<br>पुष्पक-मिग<br>संचालक उत्पन्न हुए<br>घर-घर में !<br>सीमाओं के प्रहरी<br>बने अजेय हिमालय,<br>मानवता की निश्चय जय !<br><br>
दीपोत्सव हो,<br>दीपोत्सव हो !<br>ज्योति-प्रणव हो !<br>हर बार<br>तमस्र युगों पर<br>प्रोज्ज्वल विद्युत आभा<br>फूटेगी,<br>फूटेगी !<br><br>
शक्तिमत्व हो,<br>दीपाराधन हो !<br>गर्विता अमा का<br>कण-कण बिखरेगा,<br>दीपान्विता धरा का<br>आनन निखरेगा !<br/poem>