भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<Poem>
आप जो-जो कहेंगे,
मैं बिल्कुल वही-वही करूंगाकरूँगा!
वही-वही खाऊँगा, वही-वही पहनूँगा
वही-वही लगाकर,