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[[Category:गज़ल]]
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रोज़ होती है यहाँ हलचल कोई
टूटता है आईना हर अल कोई
राह भटके इन परिन्दों के लिए
ढूँढ़ना होगा नया जंगल कोई
नाच उठतीं क़ागज़ों की कश्तियाँ
आ गया होता इधर बादल कोई
देश तो ये अब जलेगा शर्तिया
क्या करेगी आपकी दमकल कोई
बेवजह मत घूमिए यूँ 'अश्वधोश'
फाँस लेगी आपको दलदल कोई
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