भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[निगाहे-शम्स-ओ-क़मर भी जहाँ पे कम ठहरे / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी ]]
*[[कौन कहता कि हम बे-सरो-सामाँ ठहरे / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी ]]
*[[दिल पे जब चोट लगे है लगेगी सुन लो / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी ]]
*[[क्या तर्ज़े-तबस्सुम है कि तहरीर लगे है / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी ]]
*[[मेरी तक़दीर सँवर जाती उजालों की तरह / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी ]]