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|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=खड़ी बोली
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'''भात का गीत'''
<poem>
काँकर ऊपर काँकरी, मेरी मैया रे जाए
मैं थारै आई पावहणी
जो मेरा रखोगे मान रे, मेरी मैया रे जाए
'''भात का गीत<br>'''-मान राखैगी तेरी मायड़ीजिसकी तू लाडो धीयड़ रे-मायों के राखै न रहैबीरणों की लम्बी पंसाल रे, मेरी मैया रे जाए
-जिब हम घर के नित छोटे
जिब क्यूं नी करा था बुहार , मेरी मैया री जाए
-इब तुम घर के लखपति
इब हमनै कर्या बुहार रे राम, मेरी मैया रे जा
फलसे का गाड्डा बेच कै, मेरी मैया रे जाए
काँकर ऊपर काँकरीतौं मेरे मँढ़ा चढ़ आइ रेफलसे का गाड्डा ना बिकै, मेरी मैया री जाइफलसे की सोभा जाइ रे जाए<br>राम
मैं थारै आई पावहणी<br>-खूँटे की भुरिया बेच कै मेरी मैया रे जाएतौं मेरे मँढा चढ़ आवै-खूँटे की भुरिया ना बिकैखूंटे की सोभा जाइ रे, मेरी मैया री जाए
जो मेरा रखोगे मान रे , मेरी मैया रे जाए<br> -मान राखैगी तेरी मायड़ी<br> जिसकी तू लाडो धीयड़ रे<br> -मायों के राखै न रहै , <br>बीरणों की लम्बी पंसाल रे, , मेरी मैया रे जाए<br> -जिब हम घर के नित छोटे<br> जिब क्यूं नी करा था बुहार, , मेरी मैया री जाइ<br> -इब तुम घर के लखपति<br> इब हमनै कर्या बुहार रे राम, मेरी मैया रे जाए<br> फलसे का गाड्डा बेच कै<br> , मेरी मैया रे जाए ,तौं मेरे मँढ़ा चढ़ आइ रे<br> फलसे का गाड्डा ना बिकै, मेरी मैया री जाइ<br>- फलसे की सोभा जाइ रे राम …।<br> -खूँटे की भुरिया बेच कै मेरी मैया रे जाए<br>- तौं मेरे मँढा चढ़ आवै<br> -खूँटे की भुरिया ना बिकै<br> खूंटे की सोभा जाइ रे , मेरी मैया री जाइ<br> -भावज का हँसला बेचकै<br> तौं मेरे मँढा चढ़ आवै तौं मेरे मँढा चढ़ आवै<br> -भावज का हँसला ना बिकै<br> हँसला तो बहू के बाप का , मेरी मैया री जाइजाए<br/poem…………