Changes

पिता / मुकेश जैन

892 bytes added, 18:29, 26 जनवरी 2010
नया पृष्ठ: पिता पिता, वह पुरानी टूटी कुर्सी, बैंच और पंखा जो आवाज करता था जिन…
पिता

पिता, वह पुरानी टूटी
कुर्सी, बैंच और
पंखा जो आवाज करता था जिन्हें
तुमने
मूल्यवान बनाये रखा था आज तक
बे-जान हो गये हैं तुम्हारे बिना.

वे हस्तलिखित शास्त्र जो
तुमने पढ़े थे, बाट
जोह रहे हैं, किसी की
जो उन्हें छुए / पढ़े
उनकी अनुभूति ग्रहण
करे.

पिता, अब एसी है, सौफे
हैं
कंप्युटर
जिसमें हम
फ़िल्म देखते हैं.

रचनाकाल : २४/१०/२००९ (पिता की मृत्यु पर)
48
edits

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!