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असाध्य वीणा / अज्ञेय / पृष्ठ 1

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[[चित्र:Veena_instrument.gif]]
आ गये प्रियंवद ! केशकम्बली ! गुफा-गेह !<br>
उसकी करि-शुंडों सी डालें<br><br>
[[चित्र:Veena_instrument.jpggif]]<br><br>
हिम-वर्षा से पूरे वन-यूथों का कर लेती थीं परित्राण,<br>
जन मात्र प्रतीक्षमाण !"<br><br>
[[चित्र:Veena_instrument.jpggif]]<br><br>
केश-कम्बली गुफा-गेह ने खोला कम्बल।<br>