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असाध्य वीणा / अज्ञेय / पृष्ठ 3

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[[चित्र:Veena_instrument.gif]]
मैं सुनूँ,<br>
गड़रिये की अनमनी बाँसुरी।<br>
कठफोड़े का ठेका। फुलसुँघनी की आतुर फुरकन :<br>
ओस-बूँद की ढरकन-इतनी कोमल, तरल, कि झरते-झरते<br><br> [[चित्र:Veena_instrument.gif]]<br><br> 
मानो हरसिंगार का फूल बन गयी।<br>
भरे शरद के ताल, लहरियों की सरसर-ध्वनि।<br>
झिल्ली-दादुर, कोकिल-चातक की झंकार पुकारों की यति में<br>
संसृति की साँय-साँय।<br><br>
 
[[चित्र:Veena_instrument.jpg]]<br><br>
"हाँ मुझे स्मरण है :<br>
पन्थी के घोडे़ की टाप धीर।<br>
अचंचल धीर थाप भैंसो के भारी खुर की।<br><br>
 
[[चित्र:Veena_instrument.gif]]<br><br>