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Kavita Kosh से
-सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ,
भार पिंडे ते धौण डौल गई दूर पिंडे दियां रावां,
दूरों किदरों फाती आये, सिरे ते मटका चाया ए. ,
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...