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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem> बीमार को मरज़ की दावा दवा देनी चाहिए , मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए अल्लाह बरकतों से नवाजेगा इश्क नवाज़ेगा इश्क़ में, है जितनी पूंजी पूँजी पास लगा देनी चाहिए ये दिल किसी फ़कीर के हुज़रे से कम नहीं, ये दुनिया यही पे लाके छुपा देनी चाहिए मैं फूल हूँ तो फूल को गुलदान हो नसीब, मैं आग हूँ तो आग बुछा बुझा देनी चाहिए मैं ख्वाब ख़्वाब हूँ तो ख्वाब ख़्वाब से चौकाईये चौंकाईये मुझे, मैं नीद हूँ तो नींद उड़ा देनी चाहिए मैं जब्र हूँ तो जब्र की ताईद हो बंद, हो मैं शब् सब्र हूँ तो मुझ को दुआ देनी चाहिए मैं ताज हूँ तो ताज को सर पे सजाये सजायें लोग , मैं ख़ाक हूँ तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए सच बात कोंन कौन् है जो सरे -आम कह सके, मैं कह रहा हूँ मैं, मुझको सजा देनी चाहिए सौदा यही पे होता है हिन्दुस्तान हिन्दोस्तान का, संसद भवन में आग लगा देनी चाहिए
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