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बीमार होता है कोई मज़दूर / रवीन्द्र प्रभात
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07:04, 4 फ़रवरी 2010
सालों बाद देखा है
धनपतिया को आज
धुप
धूप
की तमतमाहट से कहीं ज़्यादा
</poem>
अनिल जनविजय
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