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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली}}<poem>
ओ मृगनैनी , ओ पिक बैनी ,
तेरे सामने बाँसुरिया झूठी है !
रग-रग में इतना रंग भरा,
कि रंगीन चुनरिया झूठी है !
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