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दर्द बस्ती का / विनोद तिवारी

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*[[आँधियों से थे अनमने तिनके / विनोद तिवारी]]
*[[अब सुलगती ज़िन्दगी के नाम अंगारे लिखो / विनोद तिवारी]]
*[[मत हो कहो कि बाज़ुओं में शक्ति कम है / विनोद तिवारी]]
*[[कभी तो जश्ने-चराग़ाँ शहर-शहर होगा / विनोद तिवारी]]
*[[इस जहाँ से जो भी कुछ सीखा लिखा हमने / विनोद तिवारी]]