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ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो|
न जाने कौन सी मजबुरियों मज़बूरीयों का क़ैदी हो,
वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो|
वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा न कहो|
हमारे ऐब हमें उन्गलियों उँगलियों पे गिनवाओ,
हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो|
मैं वक़ियात की ज़न्जीर का नहीं क़ायल,
मुझे भी अपने गुनाहों का सिल्सिला सिलसिला न कहो|
ये शहर वो है जहाँ राक्षस भी है "राहत",
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